Monday 20 January 2014

पलाश के फूल

खिल गए 
पलाश के फू
मंगल कुमकुम
कलश मधुरस

धूल धूसरित तन

मटमैला रंग
पास सड़कों से
दूर वनों तक
खिल उठा पलाश


वर्ष भर विस्मृत
रहता अनजान
पर अकस्मात्
सुन पीहू पुकार


मालकौंश राग
चटकदार पुष्प
लिए सूर्ख  
सिंदूरी लाल 
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