हमने उनकी तुलना
चाँद से क्या कर दी
वह रात भर आईने को
सताते रहे
अनजाने ही हो गई
कुछ ऐसी गुफ्तगू
अकेले में वह
घंटों मुस्कुराते रहे
साँझ की गोद में
रवि सो गया
रात भर चाँद के
ख्वाब आते रहे
इंतजार में
तितलियों के
फूल रात भर
ओस में नहाते रहे
उनके स्नेह की
यह कैसी अदा
हमें उनके ख़त
कोरे आते रहे
|